श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को पूरे उत्तर भारत में नाग पंचमी (नाग पंचमी 2022) का त्यौहार बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है।इस दिन नागों की पूजा की जाती है। यह त्योहार भारत के अलग-अलग प्रांतों में अलग-अलग ढंग से मनाया जाता है। भारत में अनेक स्थानों पर लोग इसकी अलग अलग करनी से पूजा करते है।
दक्षिण में लोग नाग देवता की कृपा व सर्प दंश से परिवार सुरक्षित रहे इसलिए यह पूजा करते है वहीं बंगाल में मां मनसा देवी की पूजा बहुतायत देखने को मिलती है।ऐसी मान्यता है कि नाग की पूजा करने से सांपों के कारण होने वाला किसी भी प्रकार का भय खत्म हो जाता है।
पौराणिक कथा
इस कथा के अनुसार जनमेजय अर्जुन के पौत्र राजा परीक्षित के पुत्र थे। जब जनमेजय ने पिता की मृत्यु का कारण तक्षक नाग द्वारा सर्पदंश जाना तो उसने बदला लेने के लिए सर्पसत्र नामक यज्ञ का आयोजन किया। जिससे एक एक करके सभी नाग उस यज्ञ में भस्म होने लगे तब नागों की रक्षा के लिए यज्ञ को ऋषि आस्तिक मुनि (जो मनसा देवी व ऋषि जरत्कारु के पुत्र थे) ने श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन रोक दिया और नागों की रक्षा की। इस कारण नागों का वंश बच गया। आग के ताप से नाग को बचाने के लिए ऋषि ने उनपर कच्चा दूध डाल दिया था। तभी से नागपंचमी मनाई जाने लगी। वहीं नाग देवता को दूध चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई।
नाग पंचमी के दिन जिन नाग देवों का स्मरण कर पूजा की जाती है। उन नामों में अनंत, वासुकी, पद्म, महापद्म, तक्षक, कुलीर, कर्कट, शंख, कालिया और पिंगल प्रमुख हैं। इस दिन घर के दरवाजे पर सांप की 8 आकृतियां बनाने की परंपरा है। हल्दी, रोली, अक्षत और पुष्प चढ़ाकर सर्प देवता की पूजा करें। कच्छे दूध में घी और शक्कर मिलाकर नाग देव का स्मरण कर उन्हें अर्पित करें।
नाग पंचमी क्यों मनाई जाती है
नाग पंचमी बनाने के अन्य कारण है:-
कालसर्प दोष से मुक्ति
ऐसा माना जाता है कि नाग पंचमी पर की जाने वाली पूजा से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है। मान्यता है कि भोलेनाथ सदैव अपने गले में वासुकी नाग को धारण किए हुए रहते हैं इसीलिए नाग पूजा करने से शिव भगवान को प्रसन्न किया जाता है। अतः उज्जैन व नासिक में इसकी पूजा का अधिक महत्व है।
सर्पदंश से भय की मुक्ति
बरसात के मौसम में सांप के बिलों में पानी भर जाता है जिसकी वजह से वह अपने स्थान को छोड़कर सुरक्षित स्थान खोजते हैं। इसीलिए भारतीय संस्कृति में सर्पदंश के भय से मुक्ति के लिए भी नाग पंचमी के दिन नाग की पूजा करने की परंपरा शुरू हुई है। जिससे परिवार पर नागों की कृपा बनी रहे।
देश के प्रमुख नाग मंदिर
आइए, देश के कुछ प्रमुख नाग मंदिरो और उनके महत्व के बारे में जानते है:-
नागचंद्रेश्वर मंदिर
यह मंदिर उज्जैन में महाकाल मंदिर के परिसर में स्थित है। यह मंदिर साल में केवल नाग पंचमी वाले दिन ही खुलता है। इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां पर नाग देवता के दर्शन करने से व्यक्ति के सभी प्रकार के सर्प दोष दूर हो जाते हैं।
नाग वासुकी मंदिर
प्रयागराज मे नाग पंचमी के दिन भक्तों की बहुत भीड़ लगती है। यहां पर लोग विशेष रूप से कालसर्प दोष की पूजा करवाने के लिए दूर-दूर से आते हैं।
नाग पंचमी का शुभ मुहूर्त
नाग पंचमी तिथि मंगलवार, 2 अगस्त को सुबह 5:13 से शुरू होकर अगले दिन यानी बुधवार, 3 अगस्त को सुबह 5:41 तक रहेगी और नाग पंचमी का शुभ मुहूर्त 2 अगस्त से सुबह 5:45 से आरंभ होकर 8:25 तक रहेगा।
नाग पंचमी पूजा विधि
आइए नाग पंचमी की पूजा की पूरी विधि आपको बताते हैं –
* सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
* घर के मुख्य दरवाजे पर सांप के 8 आकृतियां बनाएं।
* चावल, फूल, रोली, हल्दी आदि चढ़ाकर नाग देवता की पूजा करें।
* नाग देवता को भोग लगा कर कथा अवश्य पढ़ें।
* पूजा के बाद नाग देवता को कच्चे दूध में घी और चीनी मिलाकर भोग लगाए।